उम्मीद का दिया धर हाथोंमे
और आंखोमे भरकर यकीन
बढो, के दो कदमपर तस्लीम
मंजील है तेरी, मेरे यार मोमीन
हातिम हो तदबीर-ए-हुनर हो
ऐ नूर-ए-नजर हमनशीन
फर्माओ हाकिम होकर तुम
तकरीर-ए-दिल, मेरे यार मोमीन
तक़र्रुब-ए-करम हो ता-हयात
हो नसीब इनायत-ए-सुखन
कोई शय तलब नहीं जमानेसे
सिवा तेरे, मेरे यार मोमीन
- संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार, १४/१२/२०२३)
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