Monday, August 11, 2014

ते तेरा

तेराही ते भक्तीत न्हाले 
शिवशंभोच्या शरणी गेले
कपाळी त्रिशूळाचा टिळा
मुखी बम बम भोले!

तेराही ते जरा न भ्याले
मस्त झाले, रिचवून प्याले
सरसर चढूनी त्या चढणीवर
'नागफणी' ती तुडवून आले!

तेराही ते हरखून गेले
निसर्गापुढे नत झाले
सह्याद्रीला भरून श्वासात
घाटमाथ्यावर धुंद नाचले!

- संदीप भानुदास चांदणे (रविवार, १०/०८/२०१४)

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