Thursday, June 2, 2016

कसा फुलताना दिसू?

कुठे बसू?

नाही ओठावर हसू
डोळा नुसतेच आसू
उभा आत जळताना
कसा फुलताना दिसू?

रूपाची तुझ्या ग चांदी
झळाळे उष्ण बेभान
माझ्या उघड्या मनाने
सांग कसे आता सोसू?

तुझी साद खोलवर
चिरत मला गेलेली
आता नव्या पाखरांच्या
गाण्यांना मी कसा फसू?

तुला मिळालाय कोरा
चकाकता तो आईना
माझी जागा सांग कुठे
सांग कुठे आता बसू?

- संदीप चांदणे (१/६/२०१६)

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