Friday, January 4, 2013

एक तळे

एक तळे
निळे निळे
माशांना साऱ्या
घेऊन लोळे

दाट झाडी
गर्दी झुडूपांची
पाऊलवाट
गावाबाहेरची
तळ्याकडेच
मुरडत वळे

कोळ्याची होडी
वल्हे होडीचे
बगळ्याची समाधी
सूर बदकांचे
खेकड्यांची बिळे
इथेच मिळे

सकाळी झळाळे
शहारे सांजेला
नक्षी तरंगाच्या
मिळती काठाला
दिवसभर खुळे
स्वतःशीच खेळे
एक तळे
निळे निळे

- संदीप भानुदास चांदणे

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