Saturday, December 22, 2012

पाठवण

येते तिची आठवण
केली आठवणींची साठवण
साठवूनी आठवण
केली तिची पाठवण

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एक रंग की चाहत

जो बरसों से चाहा था  आज हमने पाया हैं  फिर उसे पाकर क्यूँ कलेजा मुंहमें आया हैं सपना था दुनिया का जिसमें कुछ ऐसा हो गुलीस्तामें हर गुल का रं...