दुवा और फरियाद
अक्सर जुडी हुई होती है
"निगाहे करम हो यार का"
इसमे से जो निकलती है
वो तो बस खुदा ही जानता है
- संदीप चांदणे
अक्सर जुडी हुई होती है
"निगाहे करम हो यार का"
इसमे से जो निकलती है
वो तो बस खुदा ही जानता है
- संदीप चांदणे
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
जो बरसों से चाहा था आज हमने पाया हैं फिर उसे पाकर क्यूँ कलेजा मुंहमें आया हैं सपना था दुनिया का जिसमें कुछ ऐसा हो गुलीस्तामें हर गुल का रं...
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