दुवा और फरियाद
अक्सर जुडी हुई होती है
"निगाहे करम हो यार का"
इसमे से जो निकलती है
वो तो बस खुदा ही जानता है
- संदीप चांदणे
अक्सर जुडी हुई होती है
"निगाहे करम हो यार का"
इसमे से जो निकलती है
वो तो बस खुदा ही जानता है
- संदीप चांदणे
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
Man slowly was becoming man Once alone then part of a clan He learned to speak, he carved the wheel, Left the cave, built home, found the fe...
No comments:
Post a Comment