Tuesday, December 27, 2016

सांजक्षितीज

झाडामागे लपलेला
सूर्य शोधताना
दिसले सांजक्षितीज
लालभडक, जळताना!

विश्रांतीवेळ जराशी
पायपीट उद्या उराशी
जाणवले हे पायांना
थकून तिथे बसताना!

अजून आहे चालायचे
मैल काही कापायचे
कळते जिवंत असल्याचे
मनाशी हे घोकताना!

- संदीप चांदणे (रविवार, १/१/२०१७)

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