Saturday, April 19, 2025

नीले आसमाँ के नीचे

नीले आसमाँ के नीचे

मै खड़ी हूँ आँखे मीचे

यहाँ है फूलों से भरे

सात रंग के बगीचे  


तितली गाती धुन कोई

मुझको बुलाती हैं

मैं भी दौड़ जाती हूँ 

उसके पीछे पीछे


हवा के आतेजाते झोंके

सहलाते है पेड़ो को

सूरज की पड़ती किरणे

मनमें जाये उमंग सींचे


ऊँचे खड़े पहाड़ दिखते

दिखते उड़ते पंछी

दिन ये बड़ा सुहाना लगे

मुझको बाहोंमें भींचें 


- मुग्धा संदीप चांदणे (शनिवार, १९/०४/२०२५)

No comments:

Post a Comment

बूंद की गाथा

बूंद की गाथा. बूंद जो मेघ से मय तक पहुंची. यह एक बूंद की गाथा है जो इस पृथ्वीपर मौजूद हर सजीव के जीवन का अविभाज्य भाग हैं. आमतौर पर इसे देखा...