Wednesday, May 22, 2024

तहजीब के मायने

कुछ इस तरह गजब तहजीब के मायने हो गये है
गाली देने के सलीके अब  सुहाने हो गये है

जिंदगीओ रास्ता, तु रूकेगा कहां जाकर?
चैनो सुकूं से बैठकर जमाने हो गये हैं

है बचपन आजभी कही आसपास दौडता मगर
क्या करे, हमही जरा उम्रसे पुराने हो गये है



- संदीप भानुदास चांदणे (१८/०७/२०१८)

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खुदा ही बन जाते

एक खयाल यूं हैं, अगर बन पाते तो खुदा ही बन जाते काफीर हूं इसीलिए दुवामें हाथ नहीं उठाये जाते  - संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार , १७/१०/२०२४)