कुछ इस तरह गजब तहजीब के मायने हो गये है
गाली देने के सलीके अब सुहाने हो गये है
जिंदगीओ रास्ता, तु रूकेगा कहां जाकर?
चैनो सुकूं से बैठकर जमाने हो गये हैं
है बचपन आजभी कही आसपास दौडता मगर
क्या करे, हमही जरा उम्रसे पुराने हो गये है
- संदीप भानुदास चांदणे (१८/०७/२०१८)
गाली देने के सलीके अब सुहाने हो गये है
जिंदगीओ रास्ता, तु रूकेगा कहां जाकर?
चैनो सुकूं से बैठकर जमाने हो गये हैं
है बचपन आजभी कही आसपास दौडता मगर
क्या करे, हमही जरा उम्रसे पुराने हो गये है
- संदीप भानुदास चांदणे (१८/०७/२०१८)
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