Thursday, March 28, 2013

सरोवर

चांदराती दुधाळ
किरणे मधाळ
धुंद गाणे
वारा गुणगुणे
विसरूनी वाट
थिजली पहाट
प्रतिबिंब सारे
पाहती तारे
प्रितीचा बहर
दिसे पाण्यावर
सरोवर लाजले
कमळांखाली लपले!

नाकाम मुहब्बत का इनाम हो तुम

किसी नाकारा दुवा की इंतेहा हो तुम कयामत है के अभी तक जिंदा हो तुम सामने आती हो तो यकी नही आता लगता है खुली आंखो का सपना हो तुम अंजाम मुफ्लीस...