चांदराती दुधाळ
किरणे मधाळ
धुंद गाणे
वारा गुणगुणे
विसरूनी वाट
धुंद गाणे
वारा गुणगुणे
विसरूनी वाट
थिजली पहाट
प्रतिबिंब सारे
पाहती तारे
प्रितीचा बहर
प्रितीचा बहर
दिसे पाण्यावर
सरोवर लाजले
कमळांखाली लपले!
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
अकबर बिरबल ( बँक व्हिजीट ) ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------...