ये ढलान की मस्ती बता रही है,
किस कदर चोटी, चढके है आये!
लुभाती वादियां मिली राहोमें
उनसेभी कर किनारा है आये!
जाना हमने ना रूकता कोई
हम भी कभी, ना थमके है आये!
- संदीप चांदणे (27/02/14)
किस कदर चोटी, चढके है आये!
लुभाती वादियां मिली राहोमें
उनसेभी कर किनारा है आये!
जाना हमने ना रूकता कोई
हम भी कभी, ना थमके है आये!
- संदीप चांदणे (27/02/14)