Monday, June 11, 2018

बांडगूळं

बांडगूळं


बांडगूळं आधीही दिसायची…
पण, ती रानात.
राईतल्या भल्याथोरल्या झाडांवर…
....जुन्या खोडांवर.
आता मात्र ती दिसतात
अगदी कुठेही…
म्हणजे...
रोपांवर वगैरे.
इथपर चाललं असतं
पण आता ती
यायला लागलीत
तणांवर..
माजलेल्या…
…विचारांच्या तणांवर!

संदीप चांदणे (११/६/२०१८)



अकबर बिरबल (बँक व्हिजीट)

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