Tuesday, November 9, 2021

ऐ दिल चलो कही यूंही घूम आये

ऐ दिल चलो कही यूंही घूम आये
खुदिको ढूंढे और खुदिको मिल आये

बहुत जर्जर हो चली अपनी दास्ता
धागा-ए-इश्क लेकर इसे सिल आये

किसीका जीत ले इल्म-ए-हासील सें
किसी हबीबको दे अपना दिल आये

हो तरन्नुम-ए-हयात चमन से आश्ना
सुनें तो गुलोंकी बहारें खिल आये

- संदीप चांदणे (मंगळवार, ८/११/२०२१)

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खुदा ही बन जाते

एक खयाल यूं हैं, अगर बन पाते तो खुदा ही बन जाते काफीर हूं इसीलिए दुवामें हाथ नहीं उठाये जाते  - संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार , १७/१०/२०२४)