Saturday, November 6, 2021

नको आळ तुझ्या असण्यावर

गात राहिलो मी,
मुक्याने घाव सोसले नाही
जरि मैफिलीला माझ्या
कधी लोक पाहिले नाही

कधी आर्त, कधी कोमल
हळवे काही गुणगुणलो
हरेक जागेस दाद मिळता 
दर्दी जगण्याचा झालो

बांधून सुरात हुंदक्यांना
नेतो अस्फुट हसण्यावर
उद्या माझ्या नसण्याचा
नको आळ तुझ्या असण्यावर

- संदीप भानुदास चांदणे (शुक्रवार, ५/११/२०२१)

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