Thursday, December 27, 2012

काव्यसुमन

मनातले आभाळ
मनातच रंगले
प्रत्यक्षात मळले
धुळीतच पाय

ओढत ज्यांना
ओठावर आणले
डोळ्यातून सांडले
शब्द सारे

पुन्हा आठवून
शब्द विणले
सूर गुंफले
कातरवेळी!

मिटल्या डोळ्यात
तिलाच पाहिले
तिलाच वाहिले
काव्यसुमन हे!
 

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