अंजाम-ए-मोहब्बत हुआ इस कदर
वो डूब ना सके, हम तैर ना सके
वो डूब ना सके, हम तैर ना सके
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
किसी नाकारा दुवा की इंतेहा हो तुम कयामत है के अभी तक जिंदा हो तुम सामने आती हो तो यकी नही आता लगता है खुली आंखो का सपना हो तुम अंजाम मुफ्लीस...
No comments:
Post a Comment