Wednesday, January 18, 2017

वक्त

'वक्त' पे लिखना है तो 'वक्त' लगेगा!
'वक्त' वही ढूंढने मे 'वक्त' लगेगा!

जबां है अपनी ये जरा बेआमसी
समझो, बेशकही तुम्हे 'वक्त' लगेगा!

बिखरती है ख्वाईशे चंद लम्होंकी
समेटो तुम्हे उसीमे 'वक्त' लगेगा!

आला न हुआ उसका दो जहांमे
उसेभी उतर आते 'वक्त' लगेगा!

पूछेंगे वो के ये 'गालिब' है कौन?
कोशीश-ए-परवाजमे 'वक्त' लगेगा!

- संदीप चांदणे (२०/१/२०१७)

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एक खयाल यूं हैं, अगर बन पाते तो खुदा ही बन जाते काफीर हूं इसीलिए दुवामें हाथ नहीं उठाये जाते  - संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार , १७/१०/२०२४)