Friday, January 17, 2020

पाकोळी

पाकोळी

निळ्या-जांभळ्या
आभाळाखाली,
हिरव्यागार कुरणाच्या
लुसलुशीत गवतावर
निवांतपणे
पहुडलेला असताना,
पलीकडच्या,
ताटव्यातल्या फुलांवरून
एक नाजूकशी पाकोळी
उडतउडत
माझ्याकडे आली
आणि मला म्हणाली…
"बाबा, तू आज आपिशला ज्यावू नको,
आपण गार्डनमध्ये खेळायला ज्यावू"


- संदीप चांदणे (१०/०९/२०१८)

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