Sunday, January 28, 2024

माझ्या गुलाबाचा वास

माझ्या लाल गुलाबाचा
कसा हरवला वास
शोधीत फिरलो मी
वणवण कोस कोस

द्या रे परत आणून
लवकर कुणीतरी
अंगणात मोगराही
झाला उदास उदास

त्याच्या वासाची रे गोडी
माझ्या भिनली रक्तात
माझ्या सुकल्या पापण्या
आसवांना वनवास

वेली हळव्या झुकल्या
झाडे पसरती हात
सारे आहे तरी नाही
माझ्या गुलाबाचा वास

संदीप चांदणे (२७/०४/२०२०)

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