रोज वही एक दिन लेकर
अपने साथ बीता सालभी
खींच ले गया आज मगर
कल सुबह आयेगा लेकीन
तारीखें पुरानी चमकाकर
फिरसे हमे कराने साथ
नये सालका नया सफर!
- संदीप भानुदास चांदणे
(३१/१२/२०१९)
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
कभी हुआ करता था जो एक शानदार मेहराबदार रोशनदान आज उसकी शान-ओ-शौकत एक पान की दुकान नोचती हैं उस ठेलेपर तो जमघट लगताही होगा बेकदरदान जमाने का ...
No comments:
Post a Comment