Sunday, January 28, 2024

नया साल

यूं तो सूरज ढलता है
रोज वही एक दिन लेकर
अपने साथ बीता सालभी
खींच ले गया आज मगर

कल सुबह आयेगा लेकीन
तारीखें पुरानी चमकाकर
फिरसे हमे कराने साथ
नये सालका नया सफर!

- संदीप भानुदास चांदणे
(३१/१२/२०१९)

No comments:

Post a Comment

रोशनदान

कभी हुआ करता था जो एक शानदार मेहराबदार रोशनदान आज उसकी शान-ओ-शौकत एक पान की दुकान नोचती हैं उस ठेलेपर तो जमघट लगताही होगा बेकदरदान जमाने का ...