Monday, October 26, 2020

तुझे हसू

हे कळीचे फूल होते
की तुझे फुलते हसू
हा नभी पाऊस दाटे
की तुझे झरते हसू

तू तुझ्या बोटांत जेव्हा
गुंफून घेतले मला
अन् तुझ्या श्वासातला
मनमोगरा केला खुला
उरले न् काही सभोवती
फक्त तुझे दिसते हसू

अबोल शब्दांतली तुझी
निखळ स्मिते मी मोजतो
तुझ्या हासण्याला, प्रिये
गूज नवनवे पेरतो
बघ कसे फेसाळते
बघ तुझे भरते हसू

पतंग जसा समर्पितो
ज्वाळेस प्राण आपुला
मी तसाच शोधतो
ठाव, तुझ्या मिठीतला
ठावे मलाच, जीवघेणे
कसे तुझे असते हसू

- संदीप भानुदास चांदणे (शनिवार १७/१०/२०२०)

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