Tuesday, May 24, 2016

हिरवीन

अरे हटाव बाजू हिमालया
आन फेअर ॲन्ड लवलीच्या
कापूसभरल्या भावल्यांना
तूच माझी हिरवीन खरी ग!
एकच बावनकशी ब्युटी ग!

झालो तर्राट आन लैच्च सैराट
खुळा झालोय, सकाळ संध्याकाळ
लोकं बघणार कायबाय बोलणार,
तरीबी, तुझच ध्यान काढीत बसणार ग!
आता ही येवढीच माझी ड्युटी ग!

काय सांगू, दिसते कशी तू
फुलावरली जणू पाकुळीच मऊ
ग्वाड गुलाबजाम पाकातला
आन रसमलाई सगळी फिकी ग!
तूच ग माझी, हायेस लै क्यूटी ग!

संदीप चांदणे (२४/५/२०१६)

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