अटल अचल विश्वास, रख अपने आपमें
हो भले अकेले तुम, जहां भी हो खडे रहो
कोई न गिरा सकेगा बस तुम जो करो यहीं
धरती के कण कण से जुडे रहो, जडे रहो
- संदीप चांदणे (बुधवार, ३०/६/२०२१)
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
एक खयाल यूं हैं, अगर बन पाते तो खुदा ही बन जाते काफीर हूं इसीलिए दुवामें हाथ नहीं उठाये जाते - संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार , १७/१०/२०२४)
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