अटल अचल विश्वास, रख अपने आपमें
हो भले अकेले तुम, जहां भी हो खडे रहो
कोई न गिरा सकेगा बस तुम जो करो यहीं
धरती के कण कण से जुडे रहो, जडे रहो
- संदीप चांदणे (बुधवार, ३०/६/२०२१)
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
किसी नाकारा दुवा की इंतेहा हो तुम कयामत है के अभी तक जिंदा हो तुम सामने आती हो तो यकी नही आता लगता है खुली आंखो का सपना हो तुम अंजाम मुफ्लीस...
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