काफीर हूं इसीलिए दुवामें हाथ नहीं उठाये जाते
- संदीप भानुदास चांदणे (गुरूवार , १७/१०/२०२४)
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
अकबर बिरबल ( बँक व्हिजीट ) ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------...