Sunday, September 15, 2013

संदीपायन

शहाणे वागता | मिळे समाधान |
होइ नुकसान | मूर्खाचेच ||

देखोनि बैसला | परी न बोलला |
रागे धरियेला | कशापायी ||

आजचा व्रुत्तांत | फुका चघळिला |
नाही मिळविला | कण अकलेचा ||

कधी शिकणार | ध्यानी धरणार |
कोण तारणार | वेड्या तुला ||

म्हणे संदीप | बुडली नौका |
मारी जो हाका | पाहोनि छिद्र ||

                      - संदीप चांदणे
                       (14/09/13)

No comments:

Post a Comment

नाकाम मुहब्बत का इनाम हो तुम

किसी नाकारा दुवा की इंतेहा हो तुम कयामत है के अभी तक जिंदा हो तुम सामने आती हो तो यकी नही आता लगता है खुली आंखो का सपना हो तुम अंजाम मुफ्लीस...