Friday, December 20, 2019

प्रेम नव्हे

ते प्रेम नव्हे

येई अनुभवाते मिटून लोचनाते
पारखून घ्यावे ते प्रेम नव्हे!

मुकी साद देऊन, अंतरी डोकावते
पाहून तोंड फिरवावे ते प्रेम नव्हे!

फुलविते जिणे, कुणाचे असणे
खोटे हसू दाखवावे ते प्रेम नव्हे!

मुक्त उधळावे, रिते रिते व्हावे
रडून भांडून घ्यावे ते प्रेम नव्हे!

- संदीप भानुदास चांदणे (२०/१२/२०१९)

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