खोल खोल राती
तेवता दिवा
झळाळे जरी
संदीप हवा
चैतन्य दारी
आणि रांगोळी
हसतयावी
अशी दिवाळी!
- संदीप भानुदास चांदणे (शुक्रवार १३/११/२०१५)
मधुर शीळ मी वार्याची, पावसाची मी सन्ततधार, सडा पाडतो गीतांचा, मी शब्दांचा जादूगार....
अकबर बिरबल ( बँक व्हिजीट ) ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------...
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